आज के टाइम में जब हर हफ्ते कोई नया फोन लॉन्च होता है, तो कई बार हमें कुछ स्मार्टफोन बिलकुल एक जैसे लगते हैं। हाल ही में लॉन्च हुए Vivo T4 और iQOO Z10 को देखिए, दोनों Phone इतने मिलते-जुलते हैं कि लोग सोच में पड़ गए है "क्या ये एक ही फोन है बस नाम अलग है?"
अगर आप भी यही सोच रहे हैं, तो मैं आपको बता दूं कि इसका जवाब थोड़ा दिलचस्प है। इसके पीछे सिर्फ डिजाइन या स्पेसिफिकेशन नहीं बल्कि एक स्मार्ट बिजनेस प्लान भी छिपा हुआ है।
दोनों ब्रांड की जड़ें एक ही जगह से निकलती हैं
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि Vivo और iQOO दोनों ही एक ही कंपनी – BBK Electronics – के हिस्से हैं। यही कंपनी Oppo और OnePlus जैसे बड़े ब्रांड्स को भी संभालती है।
जब एक ही कंपनी के दो ब्रांड फोन बनाते हैं, तो वो अक्सर एक ही फैक्ट्री, एक जैसे पार्ट्स और एक ही डिजाइन टीम का इस्तेमाल करते हैं। इससे खर्चा कम होता है और कंपनियां ये बचत ग्राहकों तक अच्छे प्राइस के रूप में पहुंचा पाती हैं।
हालांकि इन ब्रांड्स की अलग पहचान भी होती है। जैसे OnePlus को उसकी परफॉर्मेंस के लिए जाना जाता है, वहीं Oppo कैमरा-केंद्रित फोन बनाता है। ऐसे ही Vivo कैमरा के लिए फेमस है और iQOO गेमिंग के लिए।
एक ही फोन, अलग नाम – ये नया नहीं है
Vivo और iQOO ही नहीं, बड़ी-बड़ी कंपनियां भी ये ट्रिक अपनाती हैं। उदाहरण के तौर पर Samsung ने M34 और F34 नाम से लगभग एक जैसे फोन निकाले थे, सिर्फ कलर और कहां बिकेगा ये फर्क था।
Xiaomi भी ऐसा ही करती है। भारत में जो फोन Redmi के नाम से बिकता है, वो ही मॉडल इंटरनेशनल मार्केट में Poco के नाम से आ जाता है।
कंपनियां ऐसा क्यों करती हैं?
अब सवाल ये है कि कंपनियां एक जैसे फोन अलग-अलग नाम से क्यों निकालती हैं? इसके पीछे कुछ मज़बूत वजहें होती हैं।
लोगों की नजर बनाए रखने के लिए
जब कोई नया फोन लॉन्च होता है, तो टेक की दुनिया में उसकी खूब चर्चा होती है। लेकिन ये हाइप ज्यादा दिन नहीं टिकती। इसलिए कंपनियां वही फोन थोड़ा बहुत बदलकर, नए नाम या कलर में दोबारा पेश करती हैं ताकि चर्चा बनी रहे और बिक्री बढ़े।
अलग-अलग लोगों को टारगेट करने के लिए
हर इंसान की पसंद अलग होती है। कोई कैमरा का दीवाना होता है, तो कोई गेमिंग का शौकीन। Vivo T4 और iQOO Z10 जैसे फोन एक जैसे होने के बावजूद भी अलग-अलग टाइप के लोगों के लिए बनाए गए हैं।
Vivo फोटोग्राफी पसंद करने वालों के लिए है, जबकि iQOO उन लोगों के लिए है जिन्हें गेमिंग या स्पीड ज्यादा पसंद है। इस तरह एक ही फोन अलग-अलग नाम और अंदाज में कई तरह के लोगों तक पहुंच जाता है।
लागत कम करने और मुनाफा बढ़ाने के लिए
जब कोई कंपनी नया फोन बनाती है, तो उसमें काफी पैसा रिसर्च और डिजाइन पर लगता है। अगर वही डिजाइन बार-बार यूज़ हो जाए तो खर्चा कम होता है। यही काम स्मार्टफोन कंपनियां करती हैं – एक ही हार्डवेयर को थोड़ा बहुत बदलकर कई फोन बना देती हैं। इससे मैन्युफैक्चरिंग सस्ती पड़ती है और हम ग्राहकों को फोन सस्ते मिलते हैं।
इस तरह के फोन बनाने के फायदे और नुकसान
जहां एक तरफ ये तरीका ब्रांड और ग्राहकों दोनों के लिए फायदेमंद हो सकता है, वहीं इसके कुछ नुकसान भी हैं।
इस तरह के फोन ज्यादा ऑप्शन देते हैं और अच्छे प्राइस पर मिलते हैं। लेकिन कभी-कभी ये इतना कन्फ्यूज कर देते हैं कि समझ ही नहीं आता कौन-सा फोन लेना चाहिए। और हां, कुछ लोग इसे नया इनोवेशन ना मानकर सिर्फ दोहराव समझते हैं।
Vivo T4 और iQOO Z10 की असल सच्चाई
अब बात करें Vivo T4 और iQOO Z10 की, तो दोनों फोन में काफी कुछ एक जैसा है। दोनों में Snapdragon 7 सीरीज का प्रोसेसर है, 120Hz की AMOLED डिस्प्ले, 50MP का कैमरा और एक बड़ी 7300mAh की बैटरी।
इनका डिज़ाइन भी काफी हद तक एक जैसा है – पतले, हल्के और स्टाइलिश। कलर और बैक पैनल का पैटर्न थोड़ा अलग है, बस यही मुख्य फर्क है।
यूजर एक्सपीरियंस की बात करें तो दोनों ही Android 14 पर चलने वाले Funtouch OS पर चलते हैं। गेमिंग हो या फोटो खींचना, दोनों फोन परफॉर्मेंस में एक-दूसरे के काफी करीब हैं।
फर्क सिर्फ इतना है कि iQOO Z10 को Gaming के हिसाब से ट्यून किया गया है और Vivo T4 को Camera यूज़र्स को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इसलिए सॉफ्टवेयर ट्यूनिंग थोड़ी अलग हो सकती है।
आख़िर में क्या सोचना चाहिए?
तो जब अगली बार आपको दो फोन एक जैसे दिखें, तो उन्हें बस कॉपी ना समझिए। उनके पीछे की स्ट्रैटेजी को समझिए। हो सकता है एक फोन आपके लिए गेमिंग का बेस्ट ऑप्शन हो और दूसरा फोटोग्राफी का चैंपियन।
कंपनियां ऐसा करके ना सिर्फ खर्चा कम करती हैं, बल्कि हमें भी अच्छे ऑप्शन अच्छे दाम में देती हैं। ऐसे में स्मार्टफोन की ये 'डुप्लिकेशन' वाली चाल कहीं ना कहीं हमारे ही काम आती है।